
लगता है डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस की चाय छोड़कर बनारस की ठंडाई को हाथों हाथ लिया है। नहीं तो ऐसा कौनसा अमेरिकी नेता होगा जो कभी परमाणु युद्ध रोक देता है, कभी चीन को टैरिफ की मिर्ची चखाता है, और कभी-कभी खुद को “शांति का दूत” घोषित कर देता है?
अब भला ये सब सिंगल माल्ट के बस की बात है? ठंडाई में जो जोश है, वो अमेरिका की व्हिस्की में कहां!
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परमाणु युद्ध? ट्रंप बोले, “भइया रहने दो…”
हाल ही में ट्रंप जी ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि अगर वो राष्ट्रपति होते, तो यूक्रेन युद्ध और गाजा संघर्ष दोनों नहीं होते। अब ये ‘राजनीतिक ठंडाई’ नहीं तो और क्या है?
पड़ोसी जल रहा है, और ट्रंप “हम होते तो सब शांत होता” कहकर राजनीति की भांग घोल रहे हैं। जोश ऐसा कि लगे कहीं बनारसी घाट पर ताश खेलते हुए फैसला ले लिया हो।
टैरिफ धमकी: चीन-सोच में झनझनाहट
ट्रंप साहब ने कहा कि चीन से आने वाले सभी उत्पादों पर 60% टैरिफ लगाएंगे। अब ये जो “ठोको नीति” है, वो साफ तौर पर ठंडाई के बाद का असर लगती है।
डेमोक्रेट्स तो सोच में पड़ गए होंगे — “ये कौन सी बौखलाहट है भाई?”
पर हम समझते हैं, ये बौखलाहट नहीं, बनारसी ठंडाई का असर है।
सुनने में आया है कि ट्रंप के एक “गुप्त देसी सप्लायर” ने इलायची-केसर वाली स्पेशल ठंडाई भेजी थी।
स्पेस फोर्स से लेकर सोशल मीडिया तक, ट्रंप सब जगह ठंडाई लहराने को तैयार
अब बात करें ट्रंप की Truth Social ऐप की या नाटो को धमकाने की — हर फैसले में एक मस्तीभरा आत्मविश्वास झलकता है। यही सोचकर तो बनारस के एक पंडित जी ने कहा,
“मूलतः ट्रंप अब गोद लिया हुआ बनारसी है, बस गमछा और पान बाकी है।”
सिंगल माल्ट तो सिर्फ गले में जलन दे, ठंडाई सीधे दिमाग में चढ़े
अमेरिकन मीडिया चाहे जितना भी बोले कि ट्रंप “अप्रत्याशित” हैं, भारत के गली नुक्कड़ के बुजुर्ग कहेंगे —
“अरे भई, ठंडाई पी है तो कुछ भी संभव है!”
अब अगर ये सिलसिला जारी रहा, तो अगली बार ट्रंप गणेश उत्सव में भी पहुंच सकते हैं — “बॉम्बे में बप्पा के दर्शन करने आया हूँ” कहते हुए।
अब सवाल ये है कि ठंडाई वाला कौन है?
हमारी खोज जारी है। कौन है वो “ठंडाई बाबा”, जिसने ट्रंप को बनारसी बना डाला?
क्या ये डिप्लोमैटिक मिशन के तहत भारत ने कोई गुप्त मिशन चलाया है?
या फिर ये एक पान दुकान के वाइरल मार्केटिंग प्लान का हिस्सा है?
जो भी हो, दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान को जो चीज शांत और क्रिएटिव बनाए, उसका पेटेंट काशी से होना चाहिए।
जो न कर सके व्हाइट हाउस, वो कर दिखाया बनारसी ठंडाई ने
ट्रंप जी आजकल जो बोलते हैं, उससे दुनिया परेशान है, लेकिन हम कहेंगे —“बनारस से जुड़ा हर स्वाद, क्रांति लाता है। कभी साहित्य में, कभी राजनीति में।”
तो अगली बार जब ट्रंप कोई बड़ा ऐलान करें —
तो व्हाइट हाउस मत देखिए, बनारसी ठंडाई वाले को ढूंढिए।
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